वाहन रैली निकालकर पहुंचे भक्त टीकमगढ़

महरौनी( ललितपुर)। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुधासागर जी महाराज टीकमगढ़ में विराजमान हैं। मुनिश्री का मंगल सानिध्य महरौनी समाज को मिले, इसके लिए भक्तजन अपनी भावना भा रहे हैं। इसी क्रम में समाज के पदाधिकारियों और युवाओं ने वाहन रैली का आयोजन किया। प्रातःकाल में ही युवाओं का जमघट मुनिश्री सुधासागर मार्केट के सामने होने लगा और प्रातः 08:00 बजे वाहन रैली का शुभारंभ हुआ। डीजे की धुन पर धार्मिक संगीत पर झूमते श्रद्धालु महरौनी से टीकमगढ़ की ओर बढ़ चले।

वाहन काफिला टीकमगढ़ मांझ जैन मंदिर पहुंचा, जहां मुनिश्री सुधासागर के चरणों में सभी ने श्रीफल अर्पित कर महरौनी प्रवास के लिए आग्रह किया। बता दें कि महरौनी में मुनि श्री सुधासागर जी के निर्देशन में श्री यशोदय अन्तरराष्ट्रीय तीर्थ क्षेत्र पर विकास कार्य चल रहे हैं और एक भव्य पाषाण मंदिर के साथ-साथ चौबीसी मंदिर का निर्माण प्रस्तावित है। इसका शिलान्यास जैन समाज मुनिश्री सुधासागर जी के सानिध्य में करना चाहता है।

समाज के सभी लोगों ने वाहन रैली में अपना सहयोग देकर भूमिका निभाई।रैली में अध्यक्ष कोमल चंद्र, प्रमोद सिंघई, प्रशान्त सिंघई बंटी, राजा चौधरी, प्रदीप चौधरी, मुकेश सराफ, निशांत जैन, संजीव सिंघई, सतेंद्र सिंघई, राजू नुना, युवराज सिंह सिकरवार, रवि सराफ, महेंद्र बाबा, रवि सराफ, काले, राजेश खिमलासा, जिनेश मलैया, प्रवीण, मनीष सराफ, राजेश खिमलासा, रीतेश सराफ, दीपक सिंघई, गौरव कठरया, संजु बाबा, अनिल पोली, सुबोध पठा, पवन मोदी, संजीव सराफ, अल्लू सिंघई, सर्वज्ञ, हैप्पी, आशू पारौल, अशोक सराफ, महेंद्र खजुरिया, नीलेश चौधरी, संजीव बिलौया, अरविंद बुदनया, अंकित चौधरी, प्रिंस, सौरभ सतभैया, शुभम, महेश मलैया, गब्बू सिलौनया, संजू बजाज, सुनील डेवडिया, पवन, आकर्ष, सनी भायजी आदि बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।

तीर्थ परिचय : पावन सिद्ध स्थली… बावनगजा

कुंभकर्ण और मेघनाथ की निर्वाण स्थली विश्वप्रसिद्ध ५२ गज की आदिनाथ भगवान की प्रतिमा

मेघनाथ व कुंभकर्ण की मोक्षस्थली… आदिनाथ भगवान की 84 फुट 52 गज ऊँची एक ही पाषाण में उकेरी उतंग प्रतिमा… मनोरम पहाड़ी… नयनाभिराम प्राकृतिक दृश्य और तलहटी में सुंदर मंदिरों की पंक्ति… यह सुनते ही जो कल्पना मन में उभरती है वह है सिद्ध क्षेत्र बावनगजा जी की।

बड़वानी बडनयर सुचंग दक्षिणदिसि गिरि चूल उतंग।

इंद्रजीत अरू कुंभजुकर्ण ते बंदौ भवसागर तर्ण।।

आचार्य कुन्द-कुन्द के ग्रंथ की यह पंक्तियाँ हमें अहसास कराती है कि यह क्षेत्र 2000 वर्ष प्राचीन है पर इसमें कहीं भी भगवान आदिनाथ की उतंग प्रतिमा का उल्लेख नहीं होने से इसकी प्राचीनता को लेकर कई प्रश्न हैं।

आदिवासियों की मान्यताओं, लोकगीतों व लोककथाओं के अनुसार तो आदिबाबा की यह प्रतिमा रामायणकालीन है लेकिन इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि मूर्ति कब बनाई गई। मूर्ति का सर्वप्रथम बखान 13 वीं-13 वीं शताब्दी के विद्वान यतिमदन कीर्ति ने शासन चतुस्त्रिशिका शीर्षक की लघु कृति में किया गया है। इस तीर्थ को उन्होंने आदिनिषधिका व इसके नगर को वृहत्त्पुर नाम दिया है व मूर्ति को वृहददेव कहा है।

पुरातत्वीय अभिलेख व यहाँ के शिलालेखों की दृष्टि से देखें तो यतिमदनकीर्ति से पूर्ववर्ती शिलालेख भी एक मंदिर के सभामण्डप से प्राप्त हुए हैं। भाद्रपद बदी चौदस, शुक्रवार संवत् 1223 के इन शिलालेखों में रामचंद्र मुनि की प्रशंसा व दक्षिण दिशा के मुनि लोकनंद, देवनंद और उनके शिष्य रामचंद्र की प्रशंसा करते हुए उनके द्वारा मंदिर बनाए जाने का उल्लेख है। संभवतः यह मंदिर चूलगिरि का ही है। चूलगिरि मंदिर में विक्रम संवत् 1131, 1242 की प्रतिमाएँ विराजमान है जो इसकी प्राचीनता का संकेत दे रही हैं। इसलिए ही इस मूर्ति को 13 वीं शताब्दी से पूर्व की मान लिया गया है। इस पुरातात्वीक स्थल के अतीत को जानना एक खोज ही होगी, जो आवश्यक है इसकी प्राचीनता पर उठती अंगुलियों को रोकने के लिए।

जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में मिली इस आदिनाथ की प्रतिमा का कई बार जीर्णोद्धार करवाया गया तब जाकर वह आज इस रूप में मूर्ति को संरक्षित किया जा सकता है। यहाँ विक्रम संवत् 1939 माघ सुदी दशमी, शुक्रवार को 13 मंदिरों के निर्माण के बाद पंचकल्याणक महोत्सव मनाया गया था। इसके 57 साल बाद फतेहचंद मूलचंद कुशलाह ने आदिनाथ भगवान की मूर्ति का जीर्णोद्धार करवाया और उसमें 100 मन तांबे की छ़ड़ ड़ाली गई। इसके बाद पंचकल्याणक हुआ। फिर 32 साल बाद पुनः जीर्णोद्धार हुआ और महामस्तकाभिषेक व पंचकल्याणक महोत्सव मनाया गया। फिर सन् 1976 और 1991 में जीर्णोद्धार के बाद महामस्तकाभिषेक व पंचकल्याणक महोत्सव मनाया गया। इसके बाद 2008 में फिर जीर्णोद्धार के बाद महामस्तकाभिषेक व पंचकल्याणक महोत्सव मनाया गया।

पहाड़ी पर 800 सीढ़ियाँ हैं जो चूलगिरि तक जाती हैं। पहाड़ी के पास में ही मंदोदरी का प्रसाद बना है। पहाड़ पर कुल 11 मंदिर हैं और तलहटी पर 15 मंदिर। क्षेत्र पर मंदिरों में स्वर्ण का काम किया गया है और विकास कार्य चल रहे हैं। यहाँ 6 गेस्ट हाउस हैं और 35 कमरे अटैच लेट-बाथ के हैं। 4 बड़े हाल हैं। नियमित रूप से सशुल्क भोजनशाला चलती है। गुप्तिसागर ग्रंथालय के नाम से पुस्तकालय भी बना है। परिसर में सुंदर बगीचे बने हैं। नाभिराय विद्याश्रम के नाम से एक शिक्षण संस्था भी संचालित की जा रही है। यहाँ पर प्राप्त शिलालेख भी संग्रहित किए गए हैं। क्षेत्र के आस-पास जैन प्रतिमाएँ खनन में मिलती ही रहती हैं जो यहाँ के महत्व की परिचायक हैं।

विशेष आयोजन – बावनगजा में प्रतिवर्ष पोष सुदी 8 से 15 तक वार्षिक मेला लगता है। भगवान आदिनाथजी का निर्वाणोत्सव माघबदी चौदस को मनाया जाता है। 12 वर्षों के अंतराल पर महामस्तकाभिषेक महोत्सव आयोजित होता है। पहुँच मार्ग – क्षेत्र पर बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। बड़वानी इससे नजदीकी बस स्टेण्ड हैं जिसकी दूरी यहाँ से 8 कि.मी है। बड़वानी बावनगजा नियमित बस सेवा है।

बड़वानी से नजदीकी रेलवे स्टेशन – इंदौर 160 कि.मी, खंड़वा – 180 कि.मी., दाहोद -170 कि.मी, महू – 138 कि.मी नजदीकी हवाई अड्डा – इंदौर – 160 कि.मी

सभी जगह से बस व टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

नोट- आवास व्यवस्था में परिवर्तन हो सकता है । साथ ही समय समय जीर्णोद्धार का कार्य चलता रहता है तो उसमें परिवर्तन होना सम्भव है।

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टीकमगढ़ शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 50000 लोग

टीकमगढ़। शहर के ढोगा प्रांगण में 17 तारीख से चल रहे श्री 1008 मजिज्नेंद्र पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ का गुरुवार को गजरथ परिक्रमा के साथ समापन हो गया है। गुरुवार को प्रातः 5:30 बजे से मंगलाष्टक शांति मंत्र 6:00 से श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा नित्यम पूजन जिनवाणी पूजन देव शास्त्र गुरु पूजन संपन्न हुई ।7:38 पर भगवान को निर्वाण की प्राप्ति हुई। यज्ञ में सभी महा पात्रों एवं इंद्र इंद्राणीओ ने आहुति दी। आज शांति धारा का सौभाग्य अशोक जैन अतुल जैन आहार परिवार को प्राप्त हुआ।

जहां-जहां ज्ञान है वहां ज्ञान चेतना होना चाहिए – मुनि श्री मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि अनंत शक्तियों की ऐ आत्मा भव्य हो या अभव्य निगोदिया हो या मनुष्य सभी को शक्तियों को एक समान मानकर दिया है। व्यक्ति के पास धन होकर वह धनी नहीं है। हमारे पास ज्ञान है। लेकिन हम ज्ञानी नहीं हैं। क्योंकि यह मोह माया हमारे ज्ञानी होने में बाधक है। भगवान अभी तक ज्ञानवान है। आप ज्ञानी हो गऐ, ज्ञान है, लेकिन ज्ञान की चेतना नहीं है। धन है लेकिन धनी नहीं । मुनि श्री ने कहा ज्ञान अलग चीज है ज्ञान चेतना अलग चीज है जहां-जहां ज्ञान है वहां ज्ञान चेतना होना चाहिए। लेकिन आज कह रहा हूं सम्यक ज्ञान नहीं ज्ञान चेतना की आवश्यकता है सम्यक ज्ञान शास्त्रों के अनुसार पशु पक्षी भी प्राप्त कर लेता है एक नारकीय भी समय दृष्टि हो जाता है सम्यक ज्ञान का इतना महत्व नहीं है जितना ज्ञान चेतना का महत्व है ।

धर्म सास्वत है, सदा है सदा रहेगा मुनि श्री ने कहा का ज्ञान नहीं ज्ञानी पूजा जाता है धर्म नहीं धर्मी पूजा जाता है। मुनि श्री ने कहा धर्म सास्वत है ।सदा है सदा रहेगा। मुनिश्री ने कहां पंचकल्याणक में भगवान तो 6 दिन में बन गए हैं अगर तुम जीवन भर में भगवान के भक्त बन गए तो तुम्हारे कर्मों की निर्जरा होना निश्चित है। हे भव्य जीव तुम्हारी आत्मा का कल्याण निश्चित है। आदिनाथ धाम त्रिकाल चौबीसी की प्रतिष्ठा हो चुकी है आप लोगों को प्रतिदिन भगवान का अभिषेक शांति धारा एवं पूजन करनी है भक्तामर का पाठ भी करना है निश्चित ही आप सभी परेशानियों से निजात पा जाएंगे ।

कार्यक्रम की मीडिया प्रभारी प्रदीप जैन बम्होरी ने बताया कि दोपहर 2:20 पर पंचकल्याणक महोत्सव की गजरथ परिक्रमा शुरू हुई । गजरत फेरी मे पांच रथ शामिल थे। रथो के पीछे इंद्र इंद्राणी चल रहे थे। नंदीश्वर युवक मंडल वीर व्यायामशाला के युवा साथी जय जिनेंद्र कार्यकारिणी के युवा साथ में चल रहे थे । गजरथ फेरी में निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज छुल्लक 105 गंभीर सागर जी महाराज चल रहे थे सौधर्म इंद्र कुबेर महाराज, भगवान के माता पिता ,महायज्ञ नायक हाथी के रथ पर सवार होकर चल रहे थे। यज्ञ नायक राजा सोम राजा श्रेयांश भरत बाहुबली ब्रह्मइंद्र सहित अनेक इंद्र, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर , रथ पर सवार होकर परिक्रमा में चल रहे थे 4:20 बजे गजरथ की सात परिक्रमा पूरी हुई। गजरथ देखने के लिए शहर सहित देश के अनेक शहरों से अनेक नगरों से टीकमगढ़ शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 50000 लोग आज महोत्सव के साक्षी बने। टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी ने अपनी पत्नी लक्ष्मी गिरी के साथ पंचकल्याणक महोत्सव में पधार कर मुनि श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। कमेटी द्वारा उनका स्वागत एवं सम्मान किया कमेटी की ओर से नंदीश्वर कमेटी के लुईस चौधरी ,विमल जैन ,डीके जैन, गुलाब दाऊ, अशोक जैन थूबोन जी कमेटी से विजय जैन आहार बाबा नायक ,जिनेंद्र जैन निखिल जैन, सुधीर जैन चंचल जैन ,स्वरूप चंद जैन ,प्रकाश जैन, आदि लोग शामिल रहे।